FMCG कंपनी पतंजलि फूड्स के शेयर बुधवार को 4 फीसदी से ज्यादा गिरकर 1,555.55 रुपये पर पहुंच गए. पतंजलि फूड्स के शेयरों में यह गिरावट सुप्रीम कोर्ट द्वारा योगगुरु बाबा रामदेव और आचार्य बालकृष्ण को नोटिस जारी करने के एक दिन बाद आई है. 

सुप्रीम कोर्ट ने नोटिस जारी कर पूछा है कि उसके आदेशों का उल्लंघन करने पर उनके खिलाफ अवमानना ​​की कार्यवाही क्यों न शुरू की जाए. 

सुप्रीम कोर्ट ने पतंजलि आयुर्वेद को कुछ बीमारियों को ठीक करने का दावा करने वाली अपनी पारंपरिक आयुर्वेदिक दवाओं के विज्ञापन पर प्रतिबंध लगा दिया है। 

सुप्रीम कोर्ट इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (IMA) की ओर से 17 अगस्त 2022 को दायर की गई याचिका पर सुनवाई कर रही थी। 

इसमें कहा गया है कि पतंजलि ने कोविड वैक्सीनेशन और एलोपैथी के खिलाफ निगेटिव प्रचार किया। वहीं खुद की आयुर्वेदिक दवाओं से कुछ बीमारियों के इलाज का झूठा दावा किया। केस की अगली सुनवाई 19 मार्च को होगी।

कोर्ट ने सरकार से पूछा कि पतंजलि के विज्ञापनों के खिलाफ ड्रग्स एंड मैजिक रेमेडीज (आपत्तिजनक विज्ञापन) अधिनियम 1954 के तहत क्या कार्रवाई की गई है। 

केंद्र की तरफ से एडिशनल सॉलिसिटर जनरल (ASG) ने कहा कि इस बारे में डेटा इकट्ठा किया जा रहा है। कोर्ट ने इस जवाब पर नाराजगी जताई और कंपनी के विज्ञापनों पर नजर रखने का निर्देश दिया।

आईएमए ने दिसंबर 2023 और जनवरी 2024 में प्रिंट मीडिया में जारी किए गए विज्ञापनों को कोर्ट के सामने पेश किया। पतंजलि ने इन विज्ञापनों में मधुमेह और अस्थमा को'पूरी तरह से ठीक' करने का दावा किया था।

ये प्रेस कॉन्फ्रेंस सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई के ठीक एक दिन बाद की गई थी। 21 नवंबर2023 को हुई सुनवाई में जस्टिस अमानुल्लाह ने कहा था- पतंजलि को सभी भ्रामक दावों वाले विज्ञापनों को तुरंत बंद करना होगा। 

कोर्ट ऐसे किसी भी उल्लंघन को बहुत गंभीरता से लेगा और हर एक प्रोडक्ट के झूठे दावे पर 1 करोड़ रुपए तक जुर्माना लगा सकता है।

बेंच ने यह भी कहा कि वह इस मुद्दे को 'एलोपैथी बनाम आयुर्वेद' की बहस नहीं बनाना चाहती बल्कि भ्रामक चिकित्सा विज्ञापनों की समस्या का वास्तविक समाधान ढूंढना चाहती है।