कारोबार में ग्रहों की स्थिति का बड़ा महत्व होता है. अगर वह ग्रह अच्छा है तो कारोबार फलता-फूलता है. अगर वह ग्रह कमजोर है तो कारोबार या तो बंद हो जाता है या नुकसान देता है.
हर तरह के व्यवसाय और कारोबार के पीछे किसी एक ही ग्रह की भूमिका होती है. अगर वह ग्रह अच्छा है तो कारोबार फलता-फूलता है. अगर वह ग्रह कमजोर है तो कारोबार या तो बंद हो जाता है या नुकसान देता है.
कई बार कारोबार के ग्रह बिगड़ भी जाते हैं. ऐसी दशा में कारोबार में उतार-चढ़ाव आने लगता है. कारोबार से संबंधित ग्रह को मजबूत करके हम अपने काम को काफी हद तक बेहतर कर सकते हैं.
कपड़ों से संबंधित व्यापार यह व्यवसाय बहुत सारे ग्रहों से संबंध रखता है. लेकिन मुख्य रूप से यह शुक्र का व्यवसाय है. इस व्यवसाय को बेहतर करने के लिए नित्य प्रातः और शाम के समय शुक्र के मंत्र का जाप करें.एक स्फटिक की माला गले में धारण करें. हर शुक्रवार को मां लक्ष्मी को सफेद मिठाई का भोग लगाएं. जहां तक हो सके, काले रंग के प्रयोग से बचें.
अनाज का व्यवसाय इस व्यवसाय मुख्य रूप से बृहस्पति का व्यवसाय है. पके हुए भोजन के पीछे शुक्र की भूमिका होती है. जलीय खाद्य के पीछे मुख्य रूप से चन्द्रमा होता है. हर तरह के खाद्य पदार्थ के व्यवसाय में सफलता के लिए श्री कृष्ण की उपासना करें. नित्य प्रातः और सायं "क्लीं कृष्ण क्लीं" का 108 बार जाप करें. मस्तक पर नित्य सफेद या पीला चन्दन लगाएं. अपने पास एक पीले रंग का रेशमी रुमाल रखें.
प्रॉपर्टी का व्यवसाय इस व्यवसाय का मुख्य ग्रह है- शनि. कुछ हद तक इसमें मंगल की भूमिका भी होती है. इस व्यवसाय में सफलता के लिए लाल रंग के हनुमान जी की स्थापना करें. नित्य प्रातः उनके सामने चमेली के तेल का दीपक जलाएं. इसके बाद बोल बोलकर एक बार हनुमान चालीसा का पाठ करें. मंगलवार को मजदूरों को हलवा पूरी बांटें.
सलाहकारिता का व्यवसाय यह व्यवसाय बुध, बृहस्पति और शुक्र से संबंध रखता है. लेकिन मुख्य रूप से यह बृहस्पति का व्यवसाय है. इस व्यवसाय में सफलता के लिए भगवान शिव की उपासना करनी चाहिए. नित्य प्रातः शिव जी को सफेद या पीले फूल चढ़ाएं. इसके बाद "ॐ आशुतोषाय नमः" का जाप करें. अपने कार्यस्थल का रंग हल्का पीला या सफेद रखें.
लोहे, कोयले या पेट्रोल का व्यवसाय यह व्यवसाय शनि और कुछ हद तक मंगल का है. इस व्यवसाय में सफलता के लिए एक लोहे का छल्ला जरूर धारण करें. दाहिनी कलाई में काला रेशमी धागा बांधें या काले पट्टे वाली घड़ी बांधें. रोज रात में 108 बार "ॐ शं शनैश्चराय नमः" का जाप करें. शनिवार को तिलयुक्त भोजन का दान करें.