1. मां शैलपुत्री- मां शैलपुत्री का स्वरूप अत्यंत शांत और सौम्य होता है। इनका वाहन बैल होता है, जिसके कारण इन्हें वृषभवाहिनी भी कहा जाता है। इनके दो हाथ होते हैं, जिनमें एक हाथ में त्रिशूल और दूसरे हाथ में कमल का फूल होता है।
2. मां ब्रह्मचारिणी- मां ब्रह्मचारिणी का स्वरूप अत्यंत शांतिपूर्ण और उज्ज्वल है। उनका वस्त्र सफेद होता है, जो शांति, पवित्रता और सादगी का प्रतीक है। उनके दो हाथ होते हैं, जिनमें एक हाथ में जप की माला (रुद्राक्ष) होती है और दूसरे हाथ में कमंडल होता है।
3. मां चंद्रघंटा- मां चंद्रघंटा का स्वरूप शांति और कल्याण की प्रतीक है। इनके दस हाथ होते हैं और इन्हें विभिन्न आयुध धारण किए हुए दर्शाया जाता है, जो अधर्म, अन्याय और बुराइयों के विनाश का प्रतीक हैं। उनका वाहन सिंह है, जो शक्ति और साहस का प्रतीक है।
4. मां कुष्मांडा- देवी कुष्मांडा का स्वरूप अत्यंत तेजस्वी और दिव्य होता है। उनके आठ हाथ होते हैं, जिनमें वे विभिन्न आयुध धारण करती हैं जैसे कि त्रिशूल, चक्र, गदा, कमल, धनुष-बाण, कलश (अमृत से भरा हुआ), और जप की माला। उनका वाहन सिंह है, जो उनकी शक्ति और साहस का प्रतीक है।
5. मां स्कंदमाता- मां स्कंदमाता का स्वरूप बहुत ही शांत और सौम्य है। इनके चार हाथ होते हैं; ऊपरी दो हाथों में कमल के फूल होते हैं, और निचले हाथों में से एक में वे अपने पुत्र स्कंद को गोद में उठाए होती हैं, जबकि दूसरे हाथ से अभय मुद्रा(आशीर्वाद) देती हैं। इनका वाहन सिंह होता है।
6. मां कात्यायनी- मां कात्यायनी का स्वरूप अत्यंत विशाल और भव्य होता है। ये चार हाथों वाली देवी हैं, जिनके एक हाथ में कमल का फूल, दूसरे हाथ में तलवार, तीसरे हाथ में वरद मुद्रा (आशीर्वाद देने वाला हाथ) और चौथे हाथ में अभय मुद्रा (भय निवारण करने वाला हाथ) होता है। उनका वाहन सिंह है, जो उनकी शक्ति और साहस को दर्शाता है।
7. मां कालरात्रि- मां कालरात्रि का रूप अत्यंत भयानक होता है, लेकिन वह अपने भक्तों के लिए सदैव कल्याणकारी होती हैं। उनका वर्ण घोर अंधकार जैसा काला है, और उनके तीन नेत्र और चार हाथ होते हैं। उनका एक हाथ अभय मुद्रा में होता है, जो भक्तों को निर्भयता प्रदान करता है, और दूसरा हाथ वरद मुद्रा में होता है, जो कल्याण का प्रतीक है। बाकी के दो हाथों में वे क्रमशः खड्ग (तलवार) और वज्र (दामिनी) धारण करती हैं। उनका वाहन गर्दभ (गधा) होता है।
8. मां महागौरी- देवी महागौरी की उम्र आठ वर्ष की बालिका के समान बताई जाती है। उनका रूप अत्यंत शांत और सौम्य है। उनका वर्ण श्वेत है और वे सफेद वस्त्र धारण करती हैं। देवी महागौरी के चार हाथ होते हैं। उनका ऊपरी दायाँ हाथ वरमुद्रा में होता है और निचला दायाँ हाथ त्रिशूल धारण किए हुए होता है। उनका ऊपरी बायाँ हाथ डमरू धारण किए हुए होता है और निचला बायाँ हाथ अभयमुद्रा में होता है। उनका वाहन वृषभ (बैल) है।
9. मां सिद्धिदात्री- मां सिद्धिदात्री का स्वरूप अत्यंत दिव्य और सौम्य होता है। उनके चार हाथ होते हैं, जिनमें वे गदा, चक्र, शंख और कमल धारण करती हैं। उनकी आसनी कमल है, जो उनकी शक्ति और दृढ़ता को दर्शाता है। देवी सिद्धिदात्री सभी देवताओं, ऋषियों, सिद्धों और साधकों को आशीर्वाद देने वाली हैं।