भारत के शीर्ष 10 प्रसिद्ध गायक और गायिकाएँ एवं उनकी जीवनी

भारत के शीर्ष 10 प्रसिद्ध गायक और गायिकाएँ एवं उनकी जीवनी

भारतीय संगीत का इतिहास विश्व संगीत के इतिहास में एक अद्वितीय स्थान रखता है, और इसने कई प्रतिष्ठित गायकों को जन्म दिया है। यहाँ भारत के कुछ शीर्ष दिग्गज गायकों की सूची दी जा रही है: भारत के शीर्ष 10 प्रसिद्ध गायक और गायिकाएँ एवं उनकी जीवनी

 

  1. लता मंगेशकर
  2. मोहम्मद रफ़ी
  3. किशोर कुमार
  4. आशा भोंसले
  5. मुकेश
  6. जगजीत सिंह
  7. भीमसेन जोशी
  8. एम.एस. सुब्बुलक्ष्मी
  9. उस्ताद बिस्मिल्लाह खान
  10. एस. पी. बालासुब्रमण्यम

1. लता मंगेशकर

भारत के शीर्ष 10 प्रसिद्ध गायक और गायिकाएँ एवं उनकी जीवनी

लता जी को ‘स्वर कोकिला’ भी कहा जाता है और उन्होंने भारतीय सिनेमा में हजारों गीत गाए हैं।

लता मंगेशकर भारतीय संगीत जगत में एक ऐतिहासिक नाम हैं और उन्हें “स्वर कोकिला” के नाम से भी जाना जाता है। उनका जन्म 28 सितंबर 1929 को इंदौर, मध्य प्रदेश में हुआ था और उनका निधन 6 फ़रवरी 2022 को हुआ। उनके पिता, दीनानाथ मंगेशकर, एक प्रसिद्ध मराठी संगीतकार और रंगमंच कलाकार थे, जिन्होंने उनकी प्रारंभिक संगीत शिक्षा का आरंभ किया।

 प्रारंभिक जीवन और करियर

लता मंगेशकर ने अपने पिता की मृत्यु के बाद मुश्किल आर्थिक परिस्थितियों का सामना किया। वह मात्र 13 वर्ष की उम्र में ही अपने परिवार के लिए आर्थिक सहारा बन गईं। उन्होंने अपना पहला गाना 1942 में गाया और धीरे-धीरे हिन्दी फिल्म उद्योग में अपनी जगह बनाई।

 संगीत करियर

लता मंगेशकर का संगीत करियर लगभग सात दशकों तक फैला हुआ है, जिसमें उन्होंने हजारों गाने गाए हैं जो भारतीय सिनेमा के अनेक भाषाओं में शामिल हैं। उनकी आवाज़ ने विभिन्न प्रकार के गीतों में जान डाली, चाहे वह भावनात्मक गीत हों, भजन हों, या रोमांटिक गीत हों। लता मंगेशकर ने अपने लंबे संगीत करियर में लगभग 25,000 से अधिक गीत गाए हैं। यह आंकड़ा विभिन्न भाषाओं में उनके द्वारा गाए गए गानों की संख्या को दर्शाता है, जिसमें हिन्दी, मराठी, बंगाली, गुजराती, पंजाबी, तमिल, तेलुगु, नेपाली, मलयालम, कन्नड़, असमिया और अन्य भाषाएँ शामिल हैं। उनकी अद्भुत गायकी और विविधता ने उन्हें दुनिया भर में प्रसिद्ध और सम्मानित बनाया।

 उपलब्धियाँ और सम्मान

लता मंगेशकर को उनके योगदान के लिए कई पुरस्कार और सम्मान से नवाजा गया है, जिसमें भारत रत्न (2001), पद्म भूषण (1969), पद्म विभूषण (1999), और दादा साहेब फाल्के पुरस्कार (1989) शामिल हैं। उनकी गायकी ने उन्हें विश्व स्तर पर भी प्रसिद्धि दिलाई।

 व्यक्तिगत जीवन

लता मंगेशकर ने कभी विवाह नहीं किया और उन्होंने अपना पूरा जीवन संगीत को समर्पित कर दिया। उन्होंने अपनी बहन आशा भोसले, भाई हृदयनाथ मंगेशकर, मीना खाडिलकर और उषा मंगेशकर के साथ मिलकर संगीत के क्षेत्र में नए मानदंड स्थापित किए।

लता मंगेशकर की विरासत उनके गानों के माध्यम से आज भी जीवंत है, और उन्हें संगीत के क्षेत्र में एक महान आइकन के रूप में याद किया जाता है।

 

2. मोहम्मद रफ़ी

भारत के शीर्ष 10 प्रसिद्ध गायक और गायिकाएँ एवं उनकी जीवनी

मोहम्मद रफ़ी ने अपनी गायकी के जरिए भारतीय संगीत की अनेक विधाओं में अपनी अमिट छाप छोड़ी है।

मोहम्मद रफ़ी भारतीय पार्श्वगायन के इतिहास में एक चमकदार सितारा हैं, जिन्होंने अपनी मधुर आवाज और विविध गायन शैलियों के माध्यम से संगीतप्रेमियों के दिलों में अमिट छाप छोड़ी है। उनका जन्म 24 दिसंबर 1924 को पंजाब के अमृतसर में हुआ था और उनका निधन 31 जुलाई 1980 को हुआ।

 प्रारंभिक जीवन और करियर

रफ़ी का जन्म एक मध्यमवर्गीय परिवार में हुआ था। उनके गायन की शुरुआत बहुत ही कम उम्र में हो गई थी, जब उन्होंने लोकल संगीत समारोहों में गाना शुरू किया। उनकी प्रतिभा की पहचान जल्द ही हो गई और उन्हें मुंबई आने का मौका मिला।

 संगीत करियर

मोहम्मद रफ़ी ने 1940 के दशक में अपने गायन करियर की शुरुआत की और जल्द ही हिंदी फिल्म जगत में एक प्रमुख गायक के रूप में स्थापित हो गए। उन्होंने अपने करियर में 4,000 से अधिक गाने गाए, जिसमें विभिन्न भाषाओं के गाने शामिल हैं जैसे कि हिन्दी, पंजाबी, उर्दू, बंगाली, मराठी और अन्य। उनकी गायन शैली ने उन्हें व्यापक पहचान और प्रशंसा दिलाई।

 उपलब्धियाँ और सम्मान

मोहम्मद रफ़ी को कई पुरस्कारों और सम्मानों से नवाजा गया, जिसमें 6 बार फिल्मफेयर अवार्ड और एक बार राष्ट्रीय पुरस्कार शामिल हैं। उन्हें उनकी मौत के बाद 1967 में पद्म श्री से भी सम्मानित किया गया।

 व्यक्तिगत जीवन

मोहम्मद रफ़ी ने बशीरा बानो से शादी की थी और उनके परिवार में सात बच्चे थे। उन्होंने अपने जीवन में बड़ी सादगी और विनम्रता दिखाई।

मोहम्मद रफ़ी की आवाज़ ने कई पीढ़ियों को प्रभावित किया है और आज भी उनके गाने उतने ही प्रिय हैं जितने कि उनके समय में थे। उनकी विरासत उनके गीतों के माध्यम से जीवित है और उन्हें संगीत की दुनिया में एक महान कलाकार के रूप में याद किया जाता है।

 

3. किशोर कुमार

भारत के शीर्ष 10 प्रसिद्ध गायक और गायिकाएँ एवं उनकी जीवनी

एक बेहतरीन गायक के साथ-साथ, किशोर कुमार एक अभिनेता, निर्माता, और संगीतकार भी थे। किशोर कुमार, जिनका असली नाम आभास कुमार गांगुली था, भारतीय सिनेमा के सबसे विविध और प्रतिभाशाली कलाकारों में से एक थे। वह एक असाधारण गायक, अभिनेता, संगीतकार, गीतकार, निर्देशक, और निर्माता थे। उनका जन्म 4 अगस्त 1929 को खंडवा, मध्य प्रदेश में हुआ था, और उनका निधन 13 अक्टूबर 1987 को मुंबई में हुआ।

 प्रारंभिक जीवन और शिक्षा

किशोर कुमार का जन्म एक बंगाली परिवार में हुआ था। उनके पिता, कुंजीलाल गांगुली, एक वकील थे और उनकी माँ, गौरी देवी, एक गृहिणी थीं। उन्होंने अपने बड़े भाई, आशोक कुमार, जो कि एक प्रसिद्ध अभिनेता थे, के प्रभाव में आकर मुंबई का रुख किया।

 करियर

किशोर कुमार ने अपने करियर की शुरुआत एक कोरस गायक के रूप में की और धीरे-धीरे अपनी गायन प्रतिभा के दम पर उद्योग में पहचान बनाई। 1950 के दशक में, उन्होंने अपने गायन करियर में महत्वपूर्ण सफलता प्राप्त की और जल्द ही हिंदी सिनेमा के प्रमुख पार्श्व गायकों में से एक बन गए। उन्होंने विभिन्न शैलियों में गाने गाए जैसे कि रोमांटिक, सैड, कॉमिक, गज़ल, भजन और क्लासिकल।

उनकी अनूठी गायन शैली ने उन्हें अन्य गायकों से अलग किया। उनके पास गीतों को व्यक्त करने की एक खास क्षमता थी, जो उनकी आवाज़ में स्पष्ट रूप से झलकती थी।

 फिल्मों में योगदान

किशोर कुमार ने कई हिट फिल्मों में अभिनय भी किया और कुछ में संगीत दिया। उन्होंने निर्देशन और निर्माण में भी हाथ आजमाया। उनकी फिल्में और गाने आज भी बेहद लोकप्रिय हैं। किशोर कुमार ने अपने संगीत करियर में लगभग 2900 से अधिक गीत गाए हैं। उनका करियर विविधता से भरपूर था और उन्होंने कई भाषाओं में गाने गाए, जिनमें हिन्दी, बंगाली, मराठी, असमी, गुजराती, कन्नड़, भोजपुरी, मलयालम और उर्दू शामिल हैं। उनकी आवाज़ ने न केवल रोमांटिक और दर्द भरे गानों में, बल्कि मजाकिया और जीवंत गीतों में भी जादू बिखेरा। उन्होंने कई दशकों तक संगीत की दुनिया में अपनी एक खास पहचान बनाए रखी।

 व्यक्तिगत जीवन और निधन

किशोर कुमार तीन भाई बहन थे.

आशोक कुमार – बड़े भाई आशोक कुमार भी एक प्रसिद्ध अभिनेता थे और हिंदी सिनेमा के शुरुआती दिनों में एक बहुत बड़ा नाम था। वह एक प्रमुख प्रेरणा स्रोत थे और किशोर कुमार के फिल्मी करियर में उनकी मदद की।

अनूप कुमार – अनूप कुमार भी एक अभिनेता थे और हिंदी फिल्मों में काफी सक्रिय रहे।

सती देवी – उनकी एक बहन थीं, जिसका नाम सती देवी था।

किशोर कुमार की चार शादियाँ हुईं, जिसमें रूमा गुहा ठाकुरता, मधुबाला, योगिता बाली और लीना चंदावरकर शामिल हैं। उनका निधन मात्र 58 वर्ष की आयु में दिल का दौरा पड़ने से हुआ।

किशोर कुमार की विरासत उनके गानों, फिल्मों और उनके द्वारा छोड़ी गई सांस्कृतिक छाप के माध्यम से आज भी जीवित है। उनके गीत और संगीत के प्रति उनका अनूठा दृष्टिकोण उन्हें समय के साथ-साथ यादगार बनाता है।

किशोर कुमार का परिवार उनकी मृत्यु के बाद भी संगीत और फिल्म उद्योग में सक्रिय रहा है, खासकर उनके बेटे अमित कुमार जो अपने पिता की विरासत को आगे बढ़ा रहे हैं।

 

4. आशा भोंसले

भारत के शीर्ष 10 प्रसिद्ध गायक और गायिकाएँ एवं उनकी जीवनी

आशा जी ने अपनी बहन लता मंगेशकर की तरह ही विभिन्न भाषाओं में संगीत के क्षेत्र में अपार योगदान दिया है।

आशा भोंसले एक प्रतिष्ठित भारतीय पार्श्व गायिका हैं, जिन्होंने हिंदी सिनेमा में अपनी अद्वितीय गायन शैली से विशेष पहचान बनाई है। वह 8 सितंबर 1933 को महाराष्ट्र के सांगली में जन्मीं थीं। उनके पिता, पंडित दीनानाथ मंगेशकर, एक प्रसिद्ध मराठी नाटककार और गायक थे। उनकी मां का नाम शेवंती (शुधामती) मंगेशकर था। आशा जी के चार भाई-बहन हैं: लता मंगेशकर, मीना खाडिलकर, उषा मंगेशकर, और हृदयनाथ मंगेशकर।

 करियर की शुरुआत और उपलब्धियां

आशा भोंसले की संगीत यात्रा का आरंभ उनके पिता के निधन के बाद शुरू हुई, जब वह केवल 10 वर्ष की थीं। उन्होंने शुरुआत में अपनी बहन लता मंगेशकर के साये में काम किया, लेकिन धीरे-धीरे उन्होंने अपनी खुद की पहचान बनाई। 1950 और 1960 के दशक में उन्होंने ओ. पी. नैयर, आर. डी. बर्मन जैसे संगीतकारों के साथ काम करके अपने करियर को नई ऊँचाइयों तक पहुँचाया।

आशा भोंसले ने अपने करियर में 20,000 से अधिक गीत गाए हैं और उन्होंने कई भाषाओं में गाने गाए हैं, जिसमें हिंदी, मराठी, बंगाली, गुजराती, पंजाबी, तमिल, तेलुगु, अंग्रेजी और रूसी शामिल हैं। उनकी विशेषता यह है कि वह कभी भी किसी एक शैली तक सीमित नहीं रहीं और हमेशा नई चीजों को आजमाने के लिए तैयार रहीं।

 व्यक्तिगत जीवन

आशा भोंसले ने पहली शादी गणपतराव भोसले से की थी, लेकिन यह शादी सफल नहीं रही और वे अलग हो गए। बाद में उन्होंने प्रसिद्ध राहुल देव बर्मन से विवाह किया, जो उनके करियर के एक महत्वपूर्ण संगीतकार भी रहे हैं। उनके तीन बच्चे हैं: अनंद, वर्षा (स्वर्गीय), और हेमंत।

 सम्मान और पुरस्कार

आशा भोंसले को कई प्रतिष्ठित पुरस्कारों से सम्मानित किया गया है, जिनमें दादा साहब फाल्के पुरस्कार और पद्म विभूषण शामिल हैं। उनका करियर भारतीय संगीत के इतिहास में एक अद्वितीय और अमिट छाप छोड़ने वाला रहा है।

 

5. मुकेश

भारत के शीर्ष 10 प्रसिद्ध गायक और गायिकाएँ एवं उनकी जीवनी

मुकेश को अक्सर उनके दर्द भरे गीतों के लिए जाना जाता है, जो भारतीय सिनेमा के सुनहरे दौर का हिस्सा थे।

मुकेश चंद माथुर, जिन्हें संगीत की दुनिया में मुकेश के नाम से जाना जाता है, भारतीय हिंदी सिनेमा के एक प्रमुख पार्श्व गायक थे। उनका जन्म 22 जुलाई 1923 को दिल्ली में हुआ था, और उन्होंने अपने गायन से हिंदी फिल्म संगीत के युग को परिभाषित किया।

 जीवनी

मुकेश का पालन-पोषण दिल्ली में हुआ, और उन्होंने बहुत कम उम्र से ही संगीत में रुचि दिखाई। उन्होंने अपने करियर की शुरुआत एक अभिनेता के रूप में की थी, लेकिन जल्द ही उन्होंने पाया कि उनका असली पैशन गायन में है। मोतीलाल, एक प्रसिद्ध अभिनेता, ने मुकेश की प्रतिभा को पहचाना और उन्हें मुंबई लाने में मदद की।

 करियर की उपलब्धियाँ

मुकेश को उनकी मधुर आवाज और गहरी भावनात्मक अभिव्यक्ति के लिए जाना जाता है। उन्होंने 1940 और 1950 के दशक में अपने करियर को ऊंचाइयों पर पहुंचाया, जब उन्होंने कई हिट फिल्मों के लिए गाने गाए। उनकी गायकी की शैली ने राज कपूर की फिल्मों में उन्हें एक विशेष पहचान दी, और वह राज कपूर की आवाज के रूप में लोकप्रिय हुए। “मेरा जूता है जापानी”, “किसी की मुस्कुराहटों पे हो निसार”, “दोस्त दोस्त ना रहा”, और “कह दो कोई न करे यहां प्यार” जैसे गीत बेहद प्रसिद्ध हुए।

 निधन

मुकेश का निधन 27 अगस्त 1976 को दिल के दौरे से हुआ, जब वह एक संगीत कॉन्सर्ट के लिए अमेरिका में थे। उनका आकस्मिक निधन संगीत जगत के लिए एक बड़ा आघात था।

 व्यक्तिगत जीवन

मुकेश ने सरल त्रिवेदी से विवाह किया था, और उनके पांच बच्चे थे। उनके बेटे, नितिन मुकेश, भी एक गायक हैं।

मुकेश की आवाज और उनकी गायकी की शैली ने उन्हें हिंदी सिनेमा के सबसे प्रतिष्ठित और प्रिय गायकों में से एक बना दिया। उनके गीत आज भी उतने ही प्रिय हैं जितने कि उनके समय में थे।

 

6. जगजीत सिंह

भारत के शीर्ष 10 प्रसिद्ध गायक और गायिकाएँ एवं उनकी जीवनी

जगजीत सिंह को गजल गायकी के क्षेत्र में एक महान व्यक्तित्व के रूप में देखा जाता है।

जगजीत सिंह, जिन्हें अक्सर “गज़ल सम्राट” के रूप में जाना जाता है, भारतीय संगीत जगत के एक महान गज़ल गायक थे। उन्होंने गज़ल गायकी को नया आयाम दिया और इस विधा को विश्व स्तर पर पहचान दिलाई।

 जीवनी

जगजीत सिंह का जन्म 8 फरवरी 1941 को राजस्थान के श्री गंगानगर में अमर सिंह धीमान और बचन कौर धीमान के घर हुआ था। उनका असली नाम जगमोहन सिंह धीमान था। उन्होंने अपनी शिक्षा जालंधर के डीएवी कॉलेज में पूरी की, जहां उन्होंने संगीत में अपनी रुचि को और भी विकसित किया।

 करियर

जगजीत सिंह ने अपने करियर की शुरुआत 1960 के दशक में की थी। उन्होंने शुरू में ऑल इंडिया रेडियो पर गज़लें गाईं। 1970 के दशक में उनका करियर तब उचाईयों पर पहुंचा जब उन्होंने अपनी पत्नी चित्रा सिंह के साथ मिलकर गज़ल एल्बम जारी करना शुरू किया। उनकी गज़लें संगीत के शौकीनों के दिलों को छू गईं और उन्हें इस विधा के एक मास्टर के रूप में स्थापित किया।

 प्रमुख योगदान

जगजीत सिंह ने गज़ल गायकी में नवीनता लाई। उन्होंने पारंपरिक गज़ल संगीत को आधुनिक इंस्ट्रूमेंट्स और अरेंजमेंट्स के साथ मिलाया। उनके द्वारा गायी गई कुछ प्रसिद्ध गज़लें हैं “होठों से छू लो तुम”, “तुम इतना जो मुस्कुरा रहे हो”, “चिट्ठी न कोई संदेश”, “तुम को देखा तो ये खयाल आया” आदि।

 व्यक्तिगत जीवन और निधन

जगजीत सिंह ने गायिका चित्रा सिंह से विवाह किया और उनके जीवन में कई उतार-चढ़ाव आए। उनके बेटे विवेक की दुर्भाग्यपूर्ण मृत्यु के बाद, चित्रा सिंह ने गायन से संन्यास ले लिया। जगजीत सिंह का निधन 10 अक्टूबर 2011 को मुंबई में हुआ, जिससे संगीत जगत में एक बड़ी क्षति हुई।

जगजीत सिंह ने अपने संगीत से न सिर्फ भारत बल्कि दुनिया भर के संगीत प्रेमियों को प्रभावित किया है। उनकी गज़लें आज भी उतनी ही लोकप्रिय हैं जितनी उनके जीवनकाल में थीं।

 

7. भीमसेन जोशी

भारत के शीर्ष 10 प्रसिद्ध गायक और गायिकाएँ एवं उनकी जीवनी

भीमसेन जोशी को हिन्दुस्तानी क्लासिकल म्यूजिक में एक प्रमुख स्थान प्राप्त है, विशेषकर ख्याल गायकी के क्षेत्र में।

पंडित भीमसेन जोशी भारतीय शास्त्रीय संगीत के एक महान गायक थे, जिन्होंने हिंदुस्तानी शास्त्रीय संगीत, विशेष रूप से खयाल गायन शैली में अपने योगदान के लिए विश्वव्यापी प्रसिद्धि प्राप्त की। उन्हें भारतीय संगीत के सबसे प्रभावशाली और प्रिय कलाकारों में से एक माना जाता है।

 जीवनी

जन्म और प्रारंभिक जीवन:

भीमसेन जोशी का जन्म 4 फरवरी 1922 को कर्नाटक के गडग जिले में हुआ था। उनके पिता, गुरुराज जोशी, एक स्कूल अध्यापक थे। भीमसेन जोशी ने बचपन से ही संगीत में गहरी रुचि दिखाई और अपनी किशोरावस्था में ही वे अपने संगीत सफर पर निकल पड़े।

संगीत शिक्षा:

जोशी ने अपनी संगीतिक शिक्षा के लिए कई गुरुओं का सान्निध्य प्राप्त किया। विशेष रूप से उन्होंने रामभाऊ कुंडगोलकर (सवाई गंधर्व) से शिक्षा प्राप्त की, जो उनके मुख्य गुरु बने।

 

करियर और योगदान:

भीमसेन जोशी ने अपनी गायकी के माध्यम से खयाल गायकी को नई ऊंचाईयों पर पहुंचाया। उन्होंने न केवल खयाल, बल्कि भजनों और देवता स्तुतियों में भी अपनी विशेष पहचान बनाई। उन्होंने कई संगीत समारोहों में प्रस्तुतियाँ दीं और विश्वभर में भारतीय संगीत का प्रतिनिधित्व किया।

प्रमुख सम्मान:

पंडित भीमसेन जोशी को उनके योगदान के लिए कई उच्च सम्मानों से नवाजा गया, जिसमें पद्म श्री (1972), पद्म भूषण (1985), और पद्म विभूषण (1999) शामिल हैं। 2008 में उन्हें भारत के सर्वोच्च नागरिक सम्मान, भारत रत्न से सम्मानित किया गया।

निधन:

पंडित भीमसेन जोशी का निधन 24 जनवरी 2011 को हुआ। उनके निधन से भारतीय संगीत जगत में एक विशाल रिक्त स्थान उत्पन्न हो गया, लेकिन उनकी ध्वनियाँ और शैली आज भी उनके शिष्यों और संगीत प्रेमियों के बीच जीवंत हैं।

पंडित भीमसेन जोशी की कला और उनके द्वारा दिया गया संगीतिक योगदान उन्हें हमेशा भारतीय संगीत के महानतम कलाकारों में स्थान दिलाता रहेगा।

 

8. एम.एस. सुब्बुलक्ष्मी

भारत के शीर्ष 10 प्रसिद्ध गायक और गायिकाएँ एवं उनकी जीवनी

एम.एस. सुब्बुलक्ष्मी एक भारतीय कर्नाटक संगीत गायिका थीं, जिन्हें भारतीय संगीत के उत्कृष्ट योगदान के लिए भरपूर सम्मान प्राप्त हुआ।

मदुरै शनमुखवदिवु सुब्बुलक्ष्मी, जिन्हें आमतौर पर एम.एस. सुब्बुलक्ष्मी के नाम से जाना जाता है, भारतीय कर्नाटक संगीत की एक प्रतिष्ठित गायिका थीं। उनकी गायन शैली ने उन्हें दुनिया भर में प्रसिद्धि और सम्मान दिलाया। वह न केवल एक विशिष्ट गायिका थीं, बल्कि एक सांस्कृतिक आइकन भी थीं जिन्होंने भारतीय संगीत को वैश्विक मंच पर प्रतिष्ठित किया।

 जीवनी

जन्म और प्रारंभिक जीवन:

एम.एस. सुब्बुलक्ष्मी का जन्म 16 सितंबर 1916 को मदुरै, तमिलनाडु में हुआ था। उनकी माँ शनमुखवदिवु, एक वीणा वादिनी थीं, जिनसे उन्होंने अपनी मुख्य संगीतिक शिक्षा प्राप्त की।

संगीतिक करियर:

सुब्बुलक्ष्मी ने बहुत कम उम्र से ही संगीत के क्षेत्र में अपना करियर शुरू कर दिया था। उन्होंने अपनी पहली रिकॉर्डिंग 10 वर्ष की उम्र में की और अपने किशोरावस्था में ही वे एक प्रसिद्ध गायिका बन गईं। उन्होंने कर्नाटक संगीत के साथ-साथ हिन्दुस्तानी संगीत में भी प्रस्तुतियाँ दीं।

प्रमुख उपलब्धियाँ:

सुब्बुलक्ष्मी को कई उच्च राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय सम्मानों से नवाजा गया, जिसमें भारत रत्न (1998), पद्म भूषण (1954), पद्म विभूषण (1975), और रमोन मैगसेसे पुरस्कार (1974) शामिल हैं। वह पहली भारतीय महिला थीं जिन्हें रमोन मैगसेसे पुरस्कार से सम्मानित किया गया।

निधन:

एम.एस. सुब्बुलक्ष्मी का निधन 11 दिसंबर 2004 को हुआ। उनके निधन के साथ ही भारतीय संगीत जगत ने अपनी एक महान हस्ती को खो दिया, लेकिन उनका संगीत और उनकी विरासत आज भी उनके अनुयायियों और संगीत प्रेमियों के दिलों में जीवित है।

एम.एस. सुब्बुलक्ष्मी की गायिकी ने न केवल भारत में बल्कि विश्व स्तर पर भी कर्नाटक संगीत की एक अमिट छाप छोड़ी है, और उन्हें आज भी संगीत के क्षेत्र में एक युगप्रवर्तक माना जाता है।

 

9. उस्ताद बिस्मिल्लाह खान

भारत के शीर्ष 10 प्रसिद्ध गायक और गायिकाएँ एवं उनकी जीवनी

उन्होंने शहनाई को एक क्लासिकल इंस्ट्रूमेंट के रूप में विश्व मानचित्र पर लाने का काम किया।

उस्ताद बिस्मिल्लाह खान भारतीय क्लासिकल म्यूजिक के एक महान व्यक्तित्व थे, जिन्होंने शहनाई के वादन को विश्व स्तर पर पहचान दिलाई। उन्हें शहनाई के सर्वश्रेष्ठ वादक के रूप में जाना जाता है।

 जीवनी

जन्म और प्रारंभिक जीवन:

बिस्मिल्लाह खान का जन्म 21 मार्च 1916 को बिहार के दुमराँव में हुआ था। वह एक संगीतकार परिवार में जन्मे थे, जहाँ उनके दादा और पिता दोनों ही शहनाई वादक थे। बिस्मिल्लाह खान ने अपने चाचा अली बक्श ‘विलायतु’ खान से शहनाई वादन सीखा, जो कि वाराणसी के प्रसिद्ध विश्वनाथ मंदिर के शहनाई वादक थे।

करियर:

बिस्मिल्लाह खान ने अपने करियर की शुरुआत बहुत कम उम्र में की थी और जल्द ही वे अपने शहनाई वादन के लिए विख्यात हो गए। उन्होंने भारत के सबसे प्रतिष्ठित संगीत समारोहों में प्रदर्शन किया और विदेशों में भी अपनी प्रस्तुतियां दीं। उनका संगीत भारतीय संस्कृति और विरासत का प्रतिनिधित्व करता है।

प्रमुख उपलब्धियाँ:

बिस्मिल्लाह खान को उनके असाधारण योगदान के लिए कई राष्ट्रीय पुरस्कारों से सम्मानित किया गया, जिसमें पद्म श्री (1961), पद्म भूषण (1968), पद्म विभूषण (1980) और भारत रत्न (2001) शामिल हैं। वह भारतीय संगीत के इतिहास में शहनाई को एक नई पहचान देने वाले व्यक्ति के रूप में पहचाने जाते हैं।

निधन:

उस्ताद बिस्मिल्लाह खान का निधन 21 अगस्त 2006 को हुआ। उनके निधन के साथ ही भारतीय संगीत जगत ने अपने एक महान सितारे को खो दिया, लेकिन उनका संगीत और उनकी विरासत आज भी संगीत प्रेमियों के दिलों में जीवित है।

उस्ताद बिस्मिल्लाह खान के शहनाई वादन ने न केवल भारतीय संगीत के परंपरागत तत्वों को बरकरार रखा, बल्कि इसे एक वैश्विक पहचान भी प्रदान की।

 

10. एस. पी. बालासुब्रमण्यम

भारत के शीर्ष 10 प्रसिद्ध गायक और गायिकाएँ एवं उनकी जीवनी

उन्होंने हिंदी और दक्षिण भारतीय फिल्मों के लिए अपनी गायकी से अद्वितीय योगदान दिया।

एस. पी. बालासुब्रमण्यम, जिन्हें एसपीबी या बालु के नाम से भी जाना जाता है, भारतीय सिनेमा के एक विशिष्ट प्लेबैक सिंगर, म्यूजिक डायरेक्टर, एक्टर और फिल्म प्रोड्यूसर थे। उन्होंने अपने पांच दशकों से अधिक लंबे करियर में भारतीय फिल्म जगत पर अमिट छाप छोड़ी है।

 जीवनी

जन्म और प्रारंभिक जीवन:

एस. पी. बालासुब्रमण्यम का जन्म 4 जून 1946 को आंध्र प्रदेश के नेल्लोर जिले में हुआ था। उन्होंने जी. सी. इंजीनियरिंग कॉलेज, आनंतपुर में अध्ययन किया था, जहाँ उन्होंने इंजीनियरिंग की डिग्री हासिल की। संगीत के प्रति उनका झुकाव बचपन से ही था।

करियर:

बालासुब्रमण्यम ने अपना पहला गाना 1966 में गाया था, और उन्होंने तमिल, तेलुगु, हिन्दी, कन्नड़, मलयालम, संस्कृत, अंग्रेजी और अन्य भारतीय भाषाओं में 40,000 से अधिक गाने गाए। उन्होंने कई महान संगीत निर्देशकों के साथ काम किया और अपने स्वर के माध्यम से विभिन्न भावनाओं को व्यक्त किया।

प्रमुख उपलब्धियाँ:

बालासुब्रमण्यम को उनके संगीत योगदान के लिए छह नेशनल फिल्म अवार्ड्स और 25 आंध्र प्रदेश राज्य नंदी अवार्ड्स सहित कई पुरस्कार मिले। उन्हें पद्म श्री (2001) और पद्म भूषण (2011) से भी सम्मानित किया गया।

फिल्मी करियर:

एसपीबी ने अभिनय में भी हाथ आजमाया और विभिन्न दक्षिण भारतीय फिल्मों में काम किया। उनकी कुछ प्रमुख फिल्में हैं “केलड़ी कन्मणी” (तमिल), “मित्र, माई फ्रेंड” (तमिल), और अन्य।

निधन:

एस. पी. बालासुब्रमण्यम का निधन 25 सितंबर 2020 को COVID-19 के कारण हुआ था। उनका निधन भारतीय संगीत जगत के लिए एक बड़ी क्षति थी।

एसपीबी का करियर न केवल उनके गानों के माध्यम से बल्कि उनके व्यक्तित्व और संगीत के प्रति उनके समर्पण के माध्यम से भी असाधारण था। उनकी आवाज और उनके गीत आज भी अनगिनत प्रशंसकों के दिलों में गूंजते हैं।

ये गायक अपनी विशिष्ट शैलियों और विविधता के कारण भारतीय संगीत के इतिहास में अमर हो गए हैं। उनका संगीत आज भी अनेक श्रोताओं के दिलों में बसता है।

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