500 मिलियन वर्ष पुराने वायरल संक्रमण से जुड़ा हुआ है भ्रूण विकास
विज्ञान के क्षेत्र में कुछ अध्ययनों से यह संकेत मिलता है कि लगभग 500 मिलियन वर्ष पुराने वायरल संक्रमण वर्तमान जीवों के भ्रूण विकास के साथ गहराई से जुड़े हुए हो सकते हैं। यह अद्भुत संबंध रेट्रोवायरसेस (Retroviruses) के समूह से संबंधित है, जो अपने जेनेटिक मैटेरियल को मेज़बान के डीएनए में एकीकृत करने में सक्षम होते हैं।
जब ये वायरस प्राचीन समय में जीवों से संक्रमित होते थे, उनका जेनेटिक मटेरियल कभी-कभी मेज़बान जीव के जीनोम में स्थायी रूप से एकीकृत हो जाता था। इस प्रक्रिया के दौरान, कुछ वायरल जीन्स ने ऐसी नई क्षमताएं और विशेषताएं प्रदान कीं, जो उन मेज़बान जीवों के लिए फायदेमंद साबित हुईं। उदाहरण के लिए, कुछ वायरल जीन्स ने स्तनधारियों में प्लेसेंटा के विकास और कार्य में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। प्लेसेंटा भ्रूण को ऑक्सीजन और पोषण प्रदान करने, साथ ही अपशिष्ट उत्पादों को हटाने में मदद करता है, जो गर्भावस्था के दौरान अत्यंत महत्वपूर्ण होता है।
जब हम 500 मिलियन वर्ष पुराने वायरल संक्रमणों की बात करते हैं, तो इसका मतलब है कि इस दौरान वायरसों ने प्राचीन जीवों को संक्रमित किया था। इस तरह की प्राचीन घटनाओं के बारे में जानकारी मुख्यतः जीनोमिक अध्ययनों और विश्लेषण के माध्यम से प्राप्त होती है, जिसमें वर्तमान जीवों के डीएनए में पाए जाने वाले विरासती वायरल अनुक्रमों की पहचान और विश्लेषण शामिल है।
यह कैसे हुआ, इसकी समझ के लिए हमें वायरस और उनके मेज़बानों के बीच सह-विकास की प्रक्रिया को समझना होगा। वायरस और मेज़बान जीव एक लंबे समय से एक-दूसरे के साथ इंटरैक्ट कर रहे हैं, जिसमें वायरस मेज़बान के जीनोम में अपने जीनोमिक अनुक्रमों को एकीकृत कर सकते हैं। इस प्रक्रिया को वायरल इंटीग्रेशन कहा जाता है।
विशेष रूप से, रेट्रोवायरस जैसे वायरस, जिनके पास आरएनए जीनोम होता है, रिवर्स ट्रांसक्रिप्टेज एंजाइम का उपयोग करके अपने आरएनए को मेज़बान के डीएनए में प्रतिलिपित कर सकते हैं। इस प्रक्रिया के दौरान, वायरस के जीनोम के टुकड़े मेज़बान के जीनोम में समाहित हो जाते हैं। जब यह घटना गर्भाधान के समय या उससे पहले होती है, तो यह वायरल डीएनए मेज़बान के जर्मलाइन में संग्रहित हो सकता है, जिससे यह अगली पीढ़ियों में पारित हो जाता है।
500 मिलियन वर्ष पहले इस प्रकार की वायरल संक्रमण घटनाएं भी सम्भवतः इसी तरह से हुई होंगी, जिसमें प्राचीन वायरसों ने प्राचीन जीवों को संक्रमित किया और उनके जीनोम में अपने अनुक्रमों को एकीकृत किया। इसके प्रमाण आज हमें जीवों के जीनोम में मिले वायरल अनुक्रमों के रूप में मिलते हैं, जिन्हें एंडोजेनस रेट्रोवायरस (ERV) कहा जाता है। ये अनुक्रम हमें वायरस और मेज़बान के बीच लंबे समय से चले आ रहे सह-विकास की झलक प्रदान करते हैं।
इस प्रकार, प्राचीन वायरल संक्रमणों और वर्तमान जीवन रूपों के विकासात्मक प्रक्रियाओं के बीच यह अनूठा संबंध विज्ञान में एक रोचक खोज है, जो दिखाता है कि जीवन के विकास में वायरसों की भूमिका कितनी महत्वपूर्ण और जटिल हो सकती है।
1. जीनोम का मतलब क्या होता है?
जीनोम एक जीव के पूरे आनुवांशिक सूचना का समूह है जो उसके DNA (डीऑक्सीराइबोन्यूक्लिक एसिड) में निहित होती है। यह सभी जीन्स का समूह है जो एक जीव को उसके विशिष्ट लक्षण और कार्य प्रदान करते हैं। जीनोम में जीन्स के अलावा, नियामक क्षेत्र और अन्य अनुक्रम भी शामिल होते हैं जो जीनों के अभिव्यक्ति (एक्सप्रेशन) और जीव के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
जीनोमिक्स नामक विज्ञान की शाखा जीनोम के संरचना, कार्य, विकास, मैपिंग, और संपादन से संबंधित अध्ययन करती है। जीनोम के अध्ययन से, वैज्ञानिकों को विभिन्न बीमारियों के कारणों को समझने, नई दवाएँ विकसित करने, और जीवों के विकास के इतिहास को जानने में मदद मिलती है।
मानव जीनोम प्रोजेक्ट इस क्षेत्र का एक महत्वपूर्ण मील पत्थर है, जिसने मानव जीनोम की पूरी सीक्वेंसिंग प्रदान की और जीनोमिक्स के क्षेत्र में नई संभावनाओं को खोला।
2. “सहज रूप से, यह सोचा गया कि जीनोम में वायरस का होना अच्छा नहीं हो सकता।”
जीनोम एक जीव के सम्पूर्ण जेनेटिक मटेरियल का संग्रह है, जिसमें डीएनए (DNA) के सभी जीन्स और नॉन-कोडिंग सीक्वेंस शामिल होते हैं। यह जीव के विकास, विकासशील प्रक्रिया, और व्यक्तिगत लक्षणों को निर्धारित करने में मुख्य भूमिका निभाता है।
जीनोम में वायरस के जेनेटिक मटेरियल का होना अच्छा है या नहीं, यह विशेष संदर्भ पर निर्भर करता है। जैसा कि पहले बताया गया, कुछ प्राचीन वायरल संक्रमणों से मिलने वाले जीन्स ने जीवों के विकास में महत्वपूर्ण सकारात्मक योगदान दिया है। उदाहरण के लिए, कुछ रेट्रोवायरस जीन्स ने स्तनधारियों में प्लेसेंटा के विकास को सहायता प्रदान की, जो जीवन के लिए अत्यंत आवश्यक है। इस प्रकार, इन मामलों में, जीनोम में वायरस का होना लाभकारी सिद्ध हुआ है।
हालांकि, यह सब सकारात्मक नहीं है। कुछ वायरस, जैसे कि ऑन्कोवायरसेस (oncoviruses), जो कैंसर को बढ़ावा दे सकते हैं, अगर वे मेज़बान के जीनोम में अपने जेनेटिक मटेरियल को सम्मिलित कर दें। इसके अलावा, वायरल जेनेटिक मटेरियल का अस्तित्व मेज़बान जीनोम में जेनेटिक अस्थिरता को बढ़ा सकता है, जिससे जेनेटिक रोगों का जोखिम बढ़ सकता है।
इसलिए, जीनोम में वायरस का होना एक जटिल घटना है, जिसके फायदे और नुकसान दोनों हो सकते हैं। यह वायरल जीन्स के प्रकार, उनके एकीकरण के स्थान, और जीव की जीव विज्ञान पर निर्भर करता है।
3. वायरल जीन्स के प्रकार
वायरल जीन्स, जिन्हें अक्सर वायरल जीनोमिक सीक्वेंस के भाग के रूप में पाया जाता है, विभिन्न प्रकार के कार्यों और विशेषताओं को कोड कर सकते हैं। वायरस के प्रकार और उसके जीवन चक्र के आधार पर, इन जीन्स का उपयोग वायरस के प्रतिकृति, असेंबली, मेज़बान सेल के साथ बातचीत, और इम्यून सिस्टम से बचने के लिए किया जा सकता है। यहाँ कुछ प्रमुख प्रकार के वायरल जीन्स के बारे में विवरण है:
- प्रतिकृति संबंधी जीन्स (Replication-related genes): ये जीन्स वायरस की जेनेटिक सामग्री की प्रतिलिपि बनाने में मदद करते हैं। उदाहरण के लिए, डीएनए पॉलीमरेज़ और आरएनए पॉलीमरेज़ जैसे एंजाइम कोड करने वाले जीन्स इस श्रेणी में आते हैं।
- संरचनात्मक जीन्स (Structural genes): ये जीन्स वायरस के कैप्सिड (एक प्रोटीन खोल जो वायरल जेनेटिक मैटेरियल को बाहरी वातावरण से बचाता है) और अन्य संरचनात्मक घटकों के निर्माण में महत्वपूर्ण होते हैं।
- वायरल एंट्री और विज्ञप्ति जीन्स (Viral entry and release genes): ये जीन्स मेज़बान सेल की मेम्ब्रेन के साथ वायरस के संयोजन और उसमें प्रवेश, साथ ही संक्रमित सेल से नए वायरस कणों की विज्ञप्ति में मदद करते हैं।
- इम्यून इवेजन जीन्स (Immune evasion genes): वायरस के जीनोम में कुछ जीन्स होते हैं जो मेज़बान के इम्यून सिस्टम का मुकाबला करने या उससे बचने में मदद करते हैं, ताकि वायरस सफलतापूर्वक प्रतिकृति कर सके और फैल सके।
- विनियामक और एक्सेसरी जीन्स (Regulatory and accessory genes): ये जीन्स वायरल जीन एक्सप्रेशन के विनियमन और वायरल जीवन चक्र के विशेष पहलुओं के समर्थन में महत्वपूर्ण होते हैं। इनकी भूमिकाएँ वायरस के प्रकार और उसकी जटिलता पर निर्भर करती हैं।
वायरल जीन्स का मेज़बान जीनोम में होना हमेशा हानिकारक नहीं होता। कुछ मामलों में, वायरल जीनोमिक सीक्वेंस मेज़बान जीवों के विकास और अनुकूलन में मदद कर सकते हैं, जैसे कि स्तनधारियों में प्लेसेंटा के विकास में सहायता करना। हालांकि, यह वायरस के प्रकार और विशेष परिस्थितियों पर निर्भर करता है। कुछ वायरल जीन्स मेज़बान के लिए हानिकारक हो सकते हैं और रोगों का कारण बन सकते हैं, जबकि अन्य जीन्स विकासवादी लाभ प्रदान कर सकते हैं। इस प्रकार, वायरल जीन्स की उपस्थिति और प्रभाव मेज़बान जीवों के लिए एक जटिल और बहुआयामी संबंध प्रस्तुत करती है।
- प्रतिकृति संबंधी जीन्स (Replicationrelated genes):
प्रतिकृति संबंधी जीन्स (Replicationrelated genes) वे जीन्स होते हैं जो कोशिका के DNA प्रतिकृति (Replication) की प्रक्रिया में सहायता करते हैं। DNA प्रतिकृति एक जैविक प्रक्रिया है जिसके द्वारा एक कोशिका अपने जीनोम की पूरी प्रतिलिपि बनाती है। यह प्रक्रिया कोशिका विभाजन के दौरान होती है ताकि दोनों नई कोशिकाएं अपनी पूर्ण जेनेटिक सूचना प्राप्त कर सकें। प्रतिकृति संबंधी जीन्स इस प्रक्रिया को नियंत्रित और संचालित करने वाले विभिन्न प्रोटीनों के निर्माण के लिए जिम्मेदार होते हैं।
प्रतिकृति संबंधी जीन्स निम्नलिखित प्रकार के प्रोटीनों को कोड करते हैं:
- हेलिकेस (Helicases): ये एंजाइम DNA डबल हेलिक्स के दोनों स्ट्रैंड्स को अलग करते हैं, जिससे प्रतिकृति की प्रक्रिया शुरू हो सके।
- प्राइमेस (Primases): ये एंजाइम RNA प्राइमर्स को संश्लेषित करते हैं, जो DNA पॉलीमरेज के लिए प्रारंभिक बिंदु प्रदान करते हैं।
- DNA पॉलीमरेज (DNA Polymerases): ये एंजाइम नए DNA स्ट्रैंड्स को संश्लेषित करते हैं। वे टेम्प्लेट स्ट्रैंड का अनुसरण करते हुए न्यूक्लियोटाइड्स को जोड़ते हैं।
- लिगेज (Ligases): ये एंजाइम DNA फ्रेगमेंट्स को जोड़ते हैं, जिससे एक सतत DNA मॉलीक्यूल बनता है।
- क्लैंप प्रोटीन्स और क्लैंप लोडर्स: ये प्रोटीन्स DNA पॉलीमरेज को DNA स्ट्रैंड से जुड़े रहने में मदद करते हैं, जिससे वे बिना बाधा के लंबे सेगमेंट्स की प्रतिलिपि बना सकें।
प्रतिकृति संबंधी जीन्स का सही कार्यान्वयन सेल साइकल के दौरान DNA की सटीक प्रतिलिपि बनाने के लिए महत्वपूर्ण है। इन जीन्स में उत्परिवर्तन या दोष सेलुलर डिस्फंक्शन, जेनेटिक विकारों, और कैंसर जैसी बीमारियों का कारण बन सकता है।
- संरचनात्मक जीन्स (Structural genes)
संरचनात्मक जीन्स (Structural genes) वे जीन्स होते हैं जो प्रोटीन या पोलीपेप्टाइड श्रृंखलाओं के लिए कोड करते हैं जो कोशिका और जीव की संरचनात्मक और मेटाबोलिक कार्यों में भाग लेते हैं। ये प्रोटीन विशेष रूप से एंजाइमों, हार्मोनों, रिसेप्टर्स, और संरचनात्मक घटकों जैसे एक्टिन और मायोसिन जो कोशिकाओं की चलने की क्षमता प्रदान करते हैं, के उत्पादन में शामिल होते हैं।
संरचनात्मक जीन्स जीवन की विभिन्न जैविक प्रक्रियाओं में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं, जैसे कि:
- कोशिका की संरचना और आकार: संरचनात्मक प्रोटीन कोशिका के आकार और संरचना को बनाए रखते हैं। उदाहरण के लिए, साइटोस्केलेटन प्रोटीन कोशिका के आकार को निर्धारित करते हैं और कोशिका विभाजन, कोशिका चलने, और अन्य गतिविधियों में भाग लेते हैं।
- चयापचय: एंजाइम जो चयापचय की प्रक्रियाओं में मदद करते हैं, जैसे कि ग्लाइकोलाइसिस और क्रेब्स चक्र, संरचनात्मक जीन्स द्वारा कोड किए जाते हैं। ये प्रोटीन ऊर्जा उत्पादन, निर्माण और विघटन के लिए आवश्यक होते हैं।
- उत्तरजीविता और विकास: संरचनात्मक जीन्स विकास और अंग निर्माण में भी भूमिका निभाते हैं, जैसे कि हड्डियों और मांसपेशियों का विकास।
- संकेतन पथ: कुछ संरचनात्मक जीन्स सिग्नलिंग प्रोटीन के लिए कोड करते हैं जो कोशिकाओं को विभिन्न स्थितियों का जवाब देने में सक्षम बनाते हैं, जैसे कि हार्मोनल सिग्नलिंग और न्यूरोट्रांसमिशन।
- प्रतिरक्षा प्रणाली: कुछ संरचनात्मक जीन्स प्रतिरक्षा प्रणाली में शामिल प्रोटीन कोड करते हैं, जैसे कि एंटीबॉडीज जो रोगाणुओं के खिलाफ रक्षा करते हैं।
संरचनात्मक जीन्स की सही अभिव्यक्ति और संश्लेषण जीवों के स्वस्थ विकास, चयापचय, और कार्य के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण हैं। इन जीन्स में उत्परिवर्तन या अन्य जेनेटिक विकार विभिन्न रोगों और स्थितियों का कारण बन सकते हैं।
- वायरल एंट्री और विज्ञप्ति जीन्स (Viral entry and release genes)
वायरस अपने मेजबान कोशिकाओं में प्रवेश करने और उनसे निकलने के लिए विशेष जीनों और प्रोटीनों का उपयोग करते हैं। ये जीन्स और प्रोटीन, जिन्हें आमतौर पर वायरल एंट्री और विज्ञप्ति जीन्स कहा जाता है, वायरस के जीवन चक्र के महत्वपूर्ण चरणों में सहायता करते हैं।
वायरल एंट्री जीन्स
वायरल एंट्री जीन्स उन प्रोटीनों के लिए कोड करते हैं जो वायरस को मेजबान कोशिका की सतह से बांधने और उसमें प्रवेश करने में सक्षम बनाते हैं। ये प्रोटीन मेजबान कोशिका की सतह पर विशेष रिसेप्टर्स से जुड़ते हैं, जिससे वायरस कोशिका के अंदर प्रवेश कर सकता है। विभिन्न वायरसों में ये प्रोटीन भिन्न होते हैं, लेकिन उनका मूल कार्य समान होता है।
वायरल रिलीज जीन्स
एक बार जब वायरस मेजबान कोशिका के अंदर प्रवेश कर जाता है, तो यह अपनी जेनेटिक सामग्री की प्रतिलिपि बनाने और नए वायरस कणों का निर्माण करने के लिए कोशिका की मशीनरी का उपयोग करता है। वायरल रिलीज जीन्स उन प्रोटीनों के लिए कोड करते हैं जो नव निर्मित वायरस कणों को कोशिका से सफलतापूर्वक रिलीज करने में मदद करते हैं। ये प्रोटीन कणों को कोशिका की मेम्ब्रेन से अलग करने और बाहर निकालने में सहायक होते हैं, जिससे वे नई कोशिकाओं को संक्रमित कर सकते हैं।
उदाहरण के लिए, इन्फ्लुएंजा वायरस में, हेमाग्लुटिनिन (HA) प्रोटीन वायरल एंट्री में महत्वपूर्ण होता है, क्योंकि यह मेजबान कोशिका की सतह पर रिसेप्टर्स से बंधता है, जबकि न्यूरामिनिडेज़ (NA) प्रोटीन वायरल रिलीज़ में सहायक होता है, क्योंकि यह नए वायरस कणों को कोशिका की सतह से छोड़ने में मदद करता है।
वायरल एंट्री और विज्ञप्ति जीन्स की समझ वायरस के खिलाफ नई थेरेपीज़ और टीकों के विकास में महत्वपूर्ण है, क्योंकि इन प्रक्रियाओं को निशाना बनाकर, हम वायरस के फैलाव को रोक सकते हैं।
- इम्यून इवेजन जीन्स (Immune evasion genes)
इम्यून इवेजन जीन्स वायरसों और कुछ बैक्टीरिया में पाए जाने वाले जीन्स होते हैं जो इन पैथोजेन्स को मेजबान की इम्यून प्रणाली से बचने में मदद करते हैं। ये जीन्स पैथोजेन्स को इम्यून प्रतिक्रिया से बचकर लंबे समय तक संक्रमण बनाए रखने और फैलाने की क्षमता प्रदान करते हैं। इम्यून इवेजन तंत्र विभिन्न रूपों में हो सकते हैं, जैसे कि एंटीजनिक वैरिएशन, इम्यून सिग्नलिंग पथों का अवरोध, और एंटीबॉडी से बचाव।
इम्यून इवेजन जीन्स के प्रमुख तंत्र
- एंटीजनिक वैरिएशन: कुछ पैथोजेन्स अपनी सतही प्रोटीनों की संरचना में बदलाव करके इम्यून प्रतिक्रिया से बच जाते हैं। इससे इम्यून सिस्टम के लिए उन्हें पहचानना और उनके खिलाफ प्रभावी एंटीबॉडीज बनाना मुश्किल हो जाता है।
- इम्यून सिग्नलिंग पथों का अवरोध: कुछ पैथोजेन्स इम्यून सेल सिग्नलिंग पथों को बाधित करते हैं, जिससे इम्यून प्रतिक्रिया कमजोर हो जाती है और पैथोजेन्स को नष्ट करने में असमर्थता होती है।
- साइटोटॉक्सिक टी सेल पहचान से बचाव: कुछ पैथोजेन्स एमएचसी क्लास I मॉलिक्यूल्स की अभिव्यक्ति को कम करके या बाधित करके साइटोटॉक्सिक टी सेल्स द्वारा उनकी पहचान से बचते हैं।
- एंटीबॉडीमध्यस्थित विनाश से बचाव: कुछ वायरस और बैक्टीरिया एंटीबॉडी के प्रभाव को कम करने के लिए उनकी बाइंडिंग साइट्स को छिपाने या बदलने में सक्षम होते हैं।
उदाहरण
हर्पीस वायरस न्यूरॉन्स में लेटेंट संक्रमण बनाए रखता है, जहां वह इम्यून सिस्टम की नजरों से छुपा रहता है।
HIV CD4+ T सेल्स को नष्ट करता है और इम्यून सिस्टम की सहायता प्रदान करने वाली सेल्स की कार्यक्षमता को कम करता है।
इम्यून इवेजन जीन्स की पहचान और समझ इम्यूनोथेरेपी और वैक्सीन डेवलपमेंट में महत्वपूर्ण हो सकती है, क्योंकि यह इम्यून सिस्टम को बेहतर ढंग से पैथोजेन्स के खिलाफ लड़ने में मदद कर सकती है।
- विनियामक और एक्सेसरी जीन्स (Regulatory and accessory genes)
विनियामक और एक्सेसरी जीन्स पैथोजेन्स, विशेष रूप से वायरसों में, उनके जीवन चक्र के विभिन्न चरणों को नियंत्रित और सुविधाजनक बनाने के लिए महत्वपूर्ण होते हैं। ये जीन्स मेजबान कोशिका के भीतर वायरस की प्रतिकृति, असेंबली, और रिलीज़ को प्रभावित करते हैं, साथ ही साथ वायरस की इम्यून प्रतिक्रिया से बचने की क्षमता को भी बढ़ाते हैं।
विनियामक जीन्स
विनियामक जीन्स वायरल जीन अभिव्यक्ति और प्रतिकृति को नियंत्रित करने में शामिल होते हैं। ये जीन्स वायरस के जीनोम में ट्रांसक्रिप्शन फैक्टर्स या अन्य प्रोटीन्स कोड कर सकते हैं जो वायरस के अन्य जीनों की अभिव्यक्ति को नियंत्रित करते हैं, इस प्रकार वायरस के जीवन चक्र के विभिन्न चरणों को समन्वित करते हैं।
एक्सेसरी जीन्स
एक्सेसरी जीन्स, जिन्हें कभीकभी “नॉनस्ट्रक्चरल जीन्स” के रूप में भी जाना जाता है, वे होते हैं जो वायरल जीवन चक्र के मौलिक पहलुओं के लिए आवश्यक नहीं होते, लेकिन विशिष्ट परिस्थितियों में वायरस के संक्रमण या इम्यून इवेजन क्षमता को सुधारते हैं। इनमें वे प्रोटीन्स शामिल हो सकते हैं जो वायरल पार्टिकल्स की मेजबान कोशिकाओं में एंट्री, वायरस के असेंबली और रिलीज़, या मेजबान के इम्यून सिस्टम से बचने में मदद करते हैं।
महत्व
जीन नियंत्रण और वायरल अनुकूलन: ये जीन्स वायरस को मेजबान के विभिन्न पर्यावरणों में अनुकूलित होने में मदद करते हैं और वायरल जीन अभिव्यक्ति को इष्टतम बनाने में सहायता करते हैं।
इम्यून इवेजन: वायरस इन जीनों का उपयोग मेजबान के इम्यून सिस्टम से बचने के लिए कर सकते हैं, इस प्रकार उन्हें अधिक कुशलतापूर्वक संक्रमित करने और प्रसारित करने की अनुमति देते हैं।
वायरसमेजबान संबंधों में नई जानकारी: विनियामक और एक्सेसरी जीन्स का अध्ययन वैज्ञानिकों को वायरसमेजबान संबंधों की गहराई से समझने और नए थेरेप्यूटिक दृष्टिकोणों को विकसित करने में मदद कर सकता है।